भारत की मिट्टियां
Soil of india
भारत की मृदा - Soil of India
मृदा (Soil) - मृदा शब्द की उत्पति लैटिन भाषा के सोलम /Solum से हुई है।
मृदा का आकार /ब्यास
बजरी। - 5 mm से अधिक व्यास के कण
बारीक बजरी - 2 से 5 mm
मोती बालू। - 0.2 से 2 mm
बारीक बालू - 0.02 से 0.2 mm
गाद - 0.002 से 0.02 mm
चिकनी मिट्टी - 0.002 mm से कम
भारतीय मृदा का वर्गीकरण - classification of Indian soil
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ( ICAR) ने भारतीय मृदा को आठ प्रमुख प्रकारों में विभाजित किया है।
- जलोढ मृदा Alluvial soil
- लाल मृदा Red Soil
- काली मृदा Black Soil
- लेटराइट Laterite Soil
- मरुस्थलीय मृदा Desert Soil
- पर्वतीय मृदा Hill Soil
- पीट एवम दलदली मृदा Peats Marshly soil
- लवणीय एवम क्षारीय मृदा seline &Alli Soil
जलोढ मृदा Alluvial soil
जलोढ मृदा का विस्तार 14.25 लाख वर्ग km तक पाया जाता है भारत के कुल मृदा का 43.4% जलोढ मृदा का विस्तार है। जलोढ मृदा में प्रमुख फसल गेहूं, चावल, सर्वाधिक मात्रा में उगाया जाता है।इसीलिए इसे गेहूं,चावल का कटोरा भी कहा जाता है।भारत में जलोढ मृदा का निर्माण तिब्बत,हिमालय एवं प्रायद्वीप के अपरदित भागो के द्वारा होता है। क्योंकि नदिया इन पर्वत पठारी भागो को अपरदित कर जहां जमा करती है वह क्षेत्र जलोढ मैदान कहलाता है।
लाल मृदा Red Soil
भारत में लाल मृदा का विस्तार 6.1 लाख वर्ग km हैं। प्रतिशत मे बात करें तो लगभग 18.6% तक पाया जाता हैं।
लाल मृदा का विस्तार प्रायद्वीपीय भारत में दक्षिण में तमिलनाडु से लेकर उत्तर में बुंदेलखंड तक इसका विस्तार पाया जाता है। और पश्चिम में कच्छ से लेकर पूर्व में राजमहल पहाड़ी तक इसका विस्तार पाया जाता है।
लाल मृदा में प्रमुख फसल गेहूं, कपास,तंबाकू,दाल, आलसी, आलू,मूंगफली,मोटे अनाज सर्वाधिक उत्पादन किया जाता है
काली मृदा Black Soil
भारत में काली मृदा का विस्तार लगभग 15.2% तक पाया जाता है मृदा का काला रंग टिटेनिफेरस मैग्नेटाइट के कारण होता है।
विस्तार - दक्कन ट्रैप, महाराष्ट्र,मध्य प्रदेश , गुजरात,कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान, उत्तर प्रदेश आदि जगहों में इसका विस्तार पाया जाता है।
काली मृदा अन्य /विविध नाम - काली कपासी, स्वतः जुटाई वाली मृदा,घास पूस ढकने वाली मृदा, सर्वाधिक जल धारण करने वाली मृदा, रेगुड़ मृदा, इत्यादि।
लेटराइट मृदा Laterite Soil
लेटराइट मृदा का निर्माण सिलिकमय पदार्थ एवं निक्षालन से होती है। लेटराइट मृदा भारत में 3.7% पाई जाती है इस मृदा का निर्माण पर्वतीय ढालों के सहारे जहां अत्यधिक वर्षा होती है वहां पर पाई जाती है।
लेटराइट मृदा विस्तार - पश्चिमी घाट के पश्चिमी भाग पठार,केरल, तमिलनाडु,कर्नाटक, महाराष्ट्र, मेघालय, असम, आंध्र प्रदेश, इत्यादि। मैदानों में पूर्णतः अभाव पाया जाता है।
लेटराइट मृदा का सर्वप्रथम f. बुकानन ने किया था।

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