चाय का इतिहास history of tea

चाय का इतिहास

 
text: ताज़े चाय के पत्तों और गर्म चाय के कप का चित्र, चाय के इतिहास से जुड़ा।


चाय का इतिहास 

चाय देश की महत्वपूर्ण फसल है यह दक्षिणी चीन के यून्नान पठार का मूल पौधा है। इसकी व्यवसायिक खेती की शुरुआत 1838 ई में की गई। चीन से मांगे गए बीजों से दार्जिलिंग कछार एवं नीलगिरी क्षेत्रों में चाय के बागान लगाए गए। ब्रिटिश शासन काल में स्थापित असम टी कंपनी आज भी देश की सबसे बड़ी चाय कंपनी है। आज देश में 715 चाय की कंपनियां,7000 से अधिक ईस्टेट और 19738 चाय के बागान हैं। जिनमें 10 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है।आज भारत चाय उत्पादन में द्वितीय स्थान रखता हैं। पहला स्थान चीन का है।

चाय उत्पादन के लिए जलवायु 

चाय उष्णकटिबंधीय जलवायु का पौधा है। इसके लिए 24 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त माना जाता है । जड़े का 15 डिग्री का कम तापमान या पाला  चाय के पौधे के लिए हानिकारक होता है। चाय के पौधे के लिए 150 cm से 250 cm वार्षिक वर्षा बहुत ही लाभकारी होती हैं। चाय के पौधे के लिए सुबह की ओस , कोहरा, उच्च आद्रता ,चाय के पत्तियों के लिए लाभदायक होती है। चाय के बागान के लिए भुरभुरी मिट्टी जैव तत्वों से संपन्न अम्लीय दोमट मिट्टी और प्रचुर मात्रा में सस्ते श्रमिक की आवश्यकता होती है।चुनी हुई पत्तियों को सुखा कर या भूनकर डिब्बों में बंद कर बाजार में बेचने के लिए भेज दी जाती है। बाज़ार में दो प्रकार की चाय उपलब्ध होती है।1.काली चाय 2. हरी चाय

चाय की किस्म

चाय की दो किस्म होती है
1. बोहिया/चीनी चाय (Bohea or Chinese)
2. असमिका या असमी (Assamica or Assamese)

बोहिया किस्म की चाय के पौधे बड़े होते है।और पत्तियां मुलायम होती हैं। इसे 1500 मीटर की ऊंचाई तक उगाया जा सकता है।

असमिका किस्म चाय के पौधे का तना झाड़ी दार होती है।और पत्तियां चरमल होती है ।इसे 2400 मीटर की ऊंचाई तक उगाया जा सकता है ।इन्हें मिला कर कई शंकर प्रजातियां विकसित की गई है ।चाय की गुणवत्ता पर मिट्टी की विशेषताओ और ऊंचाई का असर पड़ता है। सामान्यतः ऊंचाई पर उगाई जाने वाली चाय का स्वाद एवं सुगंध अच्छा होता है।

क्षेत्र एवं उत्पादन 

भारत विश्व में चाय का  दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। गत 63 वर्षों में चाय के क्षेत्र में 78 प्रतिशत  है। देश की चाय का 79% क्षेत्र एवं 79.7% उत्पादन भाग केवल असम और पश्चिम बंगाल द्वारा प्रदान किया जाता है। चाय उत्पादन का दूसरा प्रमुख क्षेत्र नीलगिरी पहाड़ियों के सहारे स्थित हैं जिसमें तमिलनाडु,केरल, एवं कर्नाटक के भाग समाहित हैं।

असम

असम देश में चाय का सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है।यहां चाय उत्पादन के दो प्रमुख क्षेत्र हैं।
अ. ब्रम्हपुत्रघाटी
ब. सूरमा घाटी 

ब्रह्मपुत्र घाटी देश का सबसे बड़ा चाय उत्पादक क्षेत्र है। इसमें लखीमपुर, शिवसागर,एवं दारांग जिले चाय के बागानों के लिए प्रसिद्ध हैं। इसके अतिरिक्त निचले असम के ग्वालपाड़ा , कामरुप,एवं नौगांव जिलों में भी चाय उगाई जाती है।

सूरमा घाटी में कछार जिला चाय के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।असम में चाय के 676 ईस्टेट है जो ब्रह्मपुत्र के किनारे ऊंचाई के भागों में स्थित हैं।असम तीक्ष्ण लिकर युक्त चाय के लिए प्रसिद्ध हैं। चाय असम राज्य के अर्थव्यवस्था में प्रमुख भूमिका निभाता है।

पश्चिम बंगाल 

चाय उत्पादन में पश्चिम बंगाल दूसरे स्थान पर हैं।यहां चाय के बागान दुआर एवं दार्जिलिंग पहाड़ियों में पाए जाते है। जिनमें दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, कूच बिहार और पुरूलिया जिला प्रमुख भूमिका निभाता है।पश्चिम बंगाल में चाय के बागान 900 से 1200 मीटर तक ऊंचाई तक पाए जाते है। दार्जिलिंग की चाय अपने सुगंधित और सुस्वाद  हेतु विश्व प्रसिद्ध है।


तमिलनाडु 

तमिलनाडु देश में चाय उत्पादन में तृतीय स्थान है। तमिलनाडु में चाय का 45 प्रतिशत उत्पादन केवल नीलगिरी जिले से प्राप्त होता है। कोयंबतूर, कन्याकुमारी, मदुरई, तिरुनेलवेली अन्य उत्पादक जिले है। नीलगिरी एवं विनाद इंस्टेट की अच्छी गुणवत्ता की चाय की रूस और यूरोपीय देशों में बड़ी मांग है। तमिलनाडु की अनुकूल जलवायु में पत्तियों का विकास अधिक होने से चाय की अनुकूल जलवायु में पत्तियों का विकास अधिक होने से चाय की उपज अधिक होती है।

केरल

केरल चौथा बड़ा चाय उत्पादक राज्य है। मुख्य उत्पादक जिलों में इडुक्की,वायनाड, पालघाट,त्रिसूर,त्रिवेंद्रम,कोल्लम, कोट्टायम सम्मिलित है।

अन्य राज्यों में भी चाय उगाया जाता है जैसे त्रिपुरा, कनार्टक,हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश,उत्तराखंड,झारखंड, महाराष्ट्र आदि राज्यों में चाय की खेती की जाती है।

आंतरिक खपत

हाल के वर्षों में देश में चाय के आंतरिक खपत में भारी वृद्धि हुई है। जहां 1950 में चाय के कुल उत्पादन का 27.7% भाग की खपत देश में की जाती थी वही 1985 में बढ़कर 66% पहुंच गई है भारत के 40 प्रतिशत घरों में चाय का इस्तेमाल नहीं होता है।

व्यापार 

चाय भारत के निर्यात की प्रमुख वस्तु है 1965 से पूर्व भारत विश्व में चाय का सबसे प्रमुख निर्यातक देश था। परंतु आज श्रीलंका एवं चीन के बाद इसका तीसरा स्थान है इसी प्राकार विश्व निर्यात में इसका प्रतिशत अंशदान1951 में 45.5 से घटकर 1994 में 15.7 प्रतिशत हो गया ।

साथियों हमारा प्रयास अच्छा लगा हो तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़े ।निश्चित ही आपको चाय के बारे में सारी जानकारी मिल जाएगी।

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